वह मेरे सामने बैठकर मुझसे बातें करने लगी,
मैं बहुत खुश हुआ, आखिर आज यह आ ही गई।

उसने कहा, ज्यादा खुश होने की जरूरत नहीं है,
मैं temporary आई हूँ तुम्हारे पास।

कहने लगी, मैं चाहने लगी हूँ तुम्हें,
कौन जुदा कर सकता है हमें।

मैं बहुत खुश था और हवाओं से बातें करने लगा,
खो सा गया था, कहीं आसमान में उड़ने लगा।

अचानक वह बोली, कहाँ खो गए हो,
ज्यादा ऊपर मत जाना, जो अपने तरसे मिलने को।

मैं और डरने लगा, मेरे हाथ पैर कांपने लगे,
उसने संभाला मुझे और बोली,
क्यों डरते हो, अभी बहुत दूर जाना तुम्हें,
मैं हमेशा साथ रहूँगी,
चली आऊँगी जब भी दिल से बुलाओगे मुझे।

लोग like करें ना करें मैं तुम्हें चाहती हूँ दिल से,
पर तुम लोगों को चाहना मत छोड़ना,
वो प्यार करें या न करें तुम्हें।

अचानक, मैं उठा और पाया कि यह मेरा अलार्म बज रहा था और मैं अपने सपने में अपनी सफलता से बात कर रहा था, लेकिन यह सुबह का समय था।
कहते हैं सुबह के सपने सच होते हैं। मैं उससे ज़रूर मिलुंगा और मैं उसे कभी जाने नहीं दूंगा इस बार।

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